विपक्षी दलों को कोई जगाये?
जब देश की सीमाओं पर गंभीर खतरा मंडरा रहा हो तो भारत के विपक्षी दल ‘कुंभकर्णी’ नींद में सोने का नाटक नहीं कर सकते। लोकतन्त्र सजग और सशक्त विपक्ष के बिना कभी नहीं चल सकता।
12:00 AM Jun 28, 2020 IST | Aditya Chopra
जब देश की सीमाओं पर गंभीर खतरा मंडरा रहा हो तो भारत के विपक्षी दल ‘कुंभकर्णी’ नींद में सोने का नाटक नहीं कर सकते। लोकतन्त्र सजग और सशक्त विपक्ष के बिना कभी नहीं चल सकता। राष्ट्रीय एकता व अखंडता को अक्षुण्य रखने की कसम केवल सरकार में शामिल होने वाला हर मन्त्री ही नहीं उठाता है बल्कि संसद में प्रवेश करने वाला प्रत्येक सांसद भी उठाता है। विपक्ष के सांसद बेशक अल्पमत में होते हैं मगर जनता द्वारा ही चुने हुए होते हैं। आम जनता के प्रति उनकी जवाबदेही भी सरकार से कम नहीं आंकी जा सकती मगर क्या सितम ढहाया जा रहा है कि जब चीन लद्दाख में गलवान घाटी से लेकर अक्साई चिन के निकट दौलतबेग ओल्डी तक में लगातार भारतीय भूमि को हड़पे जा रहा है तो देश के समस्त विपक्षी दल (कांग्रेस को छोड़ कर) गहरी निंद्रा में सो रहे हैं और संसद का आपातकालीन सत्र बुलाने की आवाज तक नहीं उठा रहे हैं। देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इससे बड़ा संकट और क्या हो सकता है कि भारत सरकार का विदेश मन्त्रालय बार-बार बयान जारी कर रहा है कि चीन लद्दाख से लेकर ऊपर तक दोनों देशों के बीच खिंची नियन्त्रण रेखा की स्थिति बदल देना चाहता है? खतरा इससे बड़ा और क्या होगा कि चीन ‘अक्साई चिन’ के करीब तक पहुंच रखने वाली हमारी दौलत बेग ओल्डी सड़क को भारत की वीर सेनाओं की पहुंच से ही दूर कर देना चाहता है? भारत की भौगोलिक संप्रभुता पर इससे बड़ा हमला और क्या होगा कि लद्दाख की गलवान घाटी के हमारे इलाके में बनी उसी सैनिक चौकी नं. 14 में चीनियों ने भारी फौजी साजो सामान इकट्ठा कर लिया है और निर्माण कार्य चालू है। जहां 15 जून की रात्रि को उन्होंने हमारी फौज के कर्नल बी. सन्तोष बाबू समेत 20 सैनिकों की हत्या कर दी थी।
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देश की गैरत को ललकारने वाले चीन की इससे बड़ी हिमाकत और क्या होगी कि वह ‘पेगोंग-सो’ झील के इलाके में बनी हमारी चार सैनिक चौकियों के आठ कि.मी. इलाके में कब्जा किये बैठा है और वहां ‘हेली पैड’ बना रहा है? देश के लोगों की गाढ़ी कमाई से ‘सांसद भत्ता’ पाने वाले सभी संसद सदस्यों से भारत का बच्चा-बच्चा आज सवाल पूछ रहा है कि भारत माता के आंचल को मैला करने वाले चीन को सबक सिखाने की आवाज संसद से कब आयेगी ? अपने दलीय हितों और जातिगत स्वार्थों पर लड़ने-मरने वाले क्षेत्रीय विपक्षी दल किस दिन नींद से जागेंगे और समवेत स्वर में ‘जय हिन्द’ का नारा बुलन्द करेंगे। अपने निजी स्वार्थों को छोड़ कर ये किस दिन ‘राष्ट्रहित’ में एकजुटता दिखायेंगे और संसद में चीन के मुद्दे पर ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ होने की दुहाई देंगे? मगर क्या वातावरण बनाया हुआ है इन तथाकथित क्षेत्रीय विपक्षी दलों ने कि ये चीन के मामले में मौन साधे पड़े हैं और ‘शुतुर्मुर्ग’ की तरह गर्दन रेत में गाड़ कर सोच रहे हैं कि तूफान यूं ही निकल जायेगा।
भाजपा और कांग्रेस लड़ रहे हैं तो दूर खड़े होकर तमाशा देखो। क्या इन दलों का दायित्व नहीं बनता है कि ये चीन को सबक सिखाने के लिए संसद में वर्तमान सरकार को पूरा समर्थन देकर कहें कि पूरा भारत राष्ट्रीय अखंडता के मुद्दे पर चट्टान की तरह एक होकर खड़ा है। सरकार बिना किसी हिचक के करारा जवाब दे। मौन रह कर ये विपक्षी दल स्वयं ‘समय के अपराधी’ बन रहे हैं जिसे भारत की जनता कभी माफ नहीं करेगी। भारत की जनता जातियों से लेकर उपजातियों, सम्प्रदायों से लेकर समुदायों और वर्गों में बंटी हो सकती है मगर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सभी मतभेद मिटा कर पहाड़ की तरह एक हो जाती है। अतः कोई भी पार्टी इस गलतफहमी में न रहे कि भारत की जनता अन्य फिजूल मुद्दों के भटकावे में आकर राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रश्न को नजर अन्दाज कर देगी। भारत के अनपढ़ लोग भी हिसाब-किताब के बड़े पक्के होते हैं और इस तरह होते हैं कि सूरज के साये को देख कर सही वक्त बता देते हैं। इन्ही लोगों की यह भी खूबी है कि जब राजनीतिज्ञ अपना धर्म और कर्त्तव्य भूल जाते हैं तो ये आगे बढ़ कर उन्हें रास्ता दिखा देते हैं क्योंकि यह देश किसी नेता या पार्टी का नहीं है बल्कि 130 करोड़ लोगों का है। इनका धर्म और लिबास व खान-पान अलग-अलग हो सकता है मगर मिट्टी एक है जो भारत की मिट्टी है। इसी से इनका पंचतत्वी शरीर बना होता है। गफलत फैलाने वालों को यह जनता कभी नहीं बख्शती। अतः विपक्षी दल नींद से जागें और वायुंमडल में ‘हाइड्रोजन गैस’ की तरह रंग हीन, गंध हीन व स्वादहीन रहने के बजाय गरजने वाले मेघ बन कर जगें और भारत माता के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह करें व चीन की कारस्तानियों का हिसाब लें। वरना हो सकता है कि उनकी स्थिति भी राजनीतिक दायरे से सीमा पार जैसी बन जाये। शरद पवार, ममता बनर्जी, मायावती और नवीन पटनायक आदि सभी ध्यान से सुनें, संसद का सत्र बुलाया जाना इसलिए आवश्यक है कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर जिस तरह का संकट आया है और गफलत का माहौल बना हुआ है उसे तोड़ने और स्पष्ट तथ्यों की रोशनी में समूचे देश को एक स्वर से बोलने और फौज को समर्थन देना बहुत जरूरी है। क्षेत्रीय विपक्षी दल मौन त्यागें और नींद से जागें। इन्हें जगाने के लिए मैं गांधीवादी कवि स्व. भवानी प्रसाद मिश्र की यह कविता ‘इसे जगाओ’ की कुछ पंक्तियां भेट करता हूं :
‘‘भई सूरज, जरा इस आदमी को जगाओ
भई पवन, जरा इस आदमी को हिलाओ
यह आदमी जो सोया पड़ा है , जो सच से बेखबर, सपनों में खोया पड़ा है
भई पंछी, इसके कानों पर चिल्लाओ
वक्त पर जगाओ, नहीं तो जब बेवक्त जागेगा यह
तो जो आगे निकल गये हैं, उन्हें पाने घबरा के भागेगा यह !
सूरज इसे जगाओ, पवन इसे हिलाओ, पंछी इसके कानों पर चिल्लाओ।’’
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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