क्या 24 अकबर रोड नहीं छोड़ेगी कांग्रेस?
देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी में शुमार होने वाली कांग्रेस अब अपने 4 दशक…
‘आसमां में बिखरे हुए अक्सों के
ये अलग-अलग रंग हैं
दरअसल ये आइनों से पत्थरों
की एक खुली जंग है’
देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी में शुमार होने वाली कांग्रेस अब अपने 4 दशक पुराने मुख्यालय 24 अकबर रोड को अलविदा कह अपने नए मुख्यालय 9ए कोटला रोड पर शिफ्ट होने वाली है। सनद रहे कि यह वही पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग है जहां भाजपा अपने आलीशान दफ्तर में पहले ही शिफ्ट कर चुकी है, पर कांग्रेस ने अपना पता दीनदयाल मार्ग की जगह कोटला रोड चुना है जो इसके सामानांतर दूसरी तरफ वाली सड़क है। अभी से सुगबुगाहट तेज है कि भाजपा नीत सरकार की नज़रें अब 24 अकबर रोड पर टिक गई हैं कि ‘दफ्तर खाली करो कि नया बाशिंदा आएगा।’ पर कांग्रेस ने भी पूरा मन बना लिया है कि वह 24 अकबर रोड से भले ही अपना दफ्तर नए मुख्यालय में शिफ्ट कर लेगी, पर इस पुराने बंगले को छोड़ेगी नहीं चाहे इसके लिए उसे अदालत की शरण ही क्यों न लेनी पड़ जाए।
कांग्रेस का तर्क है कि ‘जब भाजपा मुख्यालय 11 अशोक रोड नई दिल्ली से दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर शिफ्ट हुआ तो क्या पार्टी ने 11 अशोक रोड पर से अपना दावा छोड़ दिया और न ही इसके साथ लगे 9 अशोक रोड को ही खाली किया जो कभी भाजपा के दिवंगत नेता अरुण जेतली का बंगला हुआ करता था जिसे उन्होंने पार्टी के काम के लिए सौंप रखा था।
संघ के वरिष्ठ नेता जब दिल्ली आते थे तो अमूमन 9 अशोक रोड ही उनका फौरी आशियाना हुआ करता था। आज इसी बंगले से भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय की टीम अपने सनसनीखेज ऑपरेशंस को अंजाम देती है।’ कांग्रेस नई दिल्ली स्थित अपने 5 रायसीना रोड के बंगले को भी खाली करने के मूड में नहीं है जहां फिलवक्त उनके ‘यूथ विंग’ का दफ्तर है। वैसे 9 अशोक रोड जो कभी संघ के खांटी नेताओं का अस्थायी आशियाना हुआ करता था, अब भाजपा ने इन नेताओं के लिए अपने नए मुख्यालय में पंचतारा व्यवस्था कर दी है। यहां नेताओं के ठहरने के लिए बाहरी विंग में होटलों की तर्ज पर सिंगल कमरे बना दिए गए हैं, जहां वे जब तक चाहें रुक सकते हैं। इससे यूपी से आने वाले कई भाजपा सांसदों को भी राहत मिली है, क्योंकि उनको आवंटित बंगले व फ्लैट्स के एक हिस्से में संघ के नेताओं ने अपने ठिकाने बना रखे थे।
कहां जाएंगे राजीव कुमार?
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार का दिल्ली का विधानसभा चुनाव उनका आखिरी चुनाव साबित हो सकता है, क्योंकि आने वाली 18 फरवरी को वे रिटायर होने वाले हैं। वे सार्वजनिक तौर पर पहले ही यह इच्छा जता चुके हैं कि ‘अपनी रिटायरमेंट के बाद उनकी दिली तमन्ना हिमालय जाने की है।’ पर उन्होंने दिल्ली के निज़ाम की जितनी सेवा की है, बदले में मेवा की चाह तो कहीं न कहीं उनके मन में भी रही होगी। वैसे भी उनकी जगह देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया नए पेंचोखम में फंस गई है। क्योंकि एक एनजीओ ‘एडीआर’ और कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ही एक याचिका दायर की है, जिस पर अभी सुनवाई होनी बाकी है।
सनद रहे कि 2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा था कि ‘मुख्य चुनाव आयुक्त व चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का अधिकार एक तीन सदस्यीय पैनल का होगा जिस पैनल में पीएम, नेता प्रतिपक्ष व सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल होंगे’ लेकिन 21 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार ने एक नया विधेयक पारित करा यह सुनिश्चित कर दिया कि ‘इस तीन सदस्यीय पैनल में चीफ जस्टिस की जगह सरकार द्वारा नामित कोई केंद्रीय मंत्री शामिल रहेगा।’ अब सुप्रीम कोर्ट भी यह जानना चाहता है कि ‘वह कहां गलत था कि सरकार को ऐसा विधेयक लाना पड़ा।’ 4 फरवरी को यह मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए लगा है।
…और अंत में
5 फरवरी को दिल्ली वोट करने को कमर कस रही है तो वहीं मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनैतिक पार्टियां हर मुमकिन कदमताल कर रही हैं। पर सच मानिए तो यह एक ऐसा चुनाव है जो अब तलक ‘मुद्दाविहीन’ लग रहा है, बात केवल ’आप-दा’, ‘शीश महल’ बनाम ‘राज महल’, ‘पूर्वांचली सम्मान’, ‘जाट आरक्षण’ जैसे गैर जरूरी शिगूफों में सिमटा हुआ है, पार्टियों के मुख्य एजेंडे से महंगाई, बेरोजगारी, प्रदूषण जैसे जरूरी मुद्दे नदारद हैं। सो, मुफ्त रेवड़ियां बांटने का दौर चल निकला है।
नई दिल्ली के एक भाजपा नेता को महिलाओं को 1100 रुपए का लिफाफा थमाते आप पहले ही देख चुके हैं, अब यही सम्मानीय नेता दिल्ली के वोटरों को मुफ्त चादर बांट रहे हैं। एक नेताजी तो फ्री चश्मा बांट रहे हैं। सबसे बढ़ कर तो यमुना पार शाहदरा से भाजपा के एक पार्षद जो इस बार पार्टी टिकट के प्रबल दावेदारों में शुमार हैं वे फ्री में जूते बांट रहे हैं। वह इसीलिए भी कि उनका अपने निर्वाचन क्षेत्र में ही जूतों का एक बड़ा शो-रूम है सो, उनका आह्वान है कि ‘जरूरतमंद आएं इस सर्दी के मौसम में और अपने नाप का जूता फ्री ले जाएं।’
जब इस बात की भनक कुछ पत्रकारों को लगी तो वे सच्चाई की पड़ताल में भटकते नेताजी के शो-रूम तक पहुंच गए, पर नेताजी का शातिराना अंदाज तो देखिए उन्होंने तो इन पत्रकारों को भी फ्री के जूते पहनवा दिए। कुछ पत्रकारगण तो इस वाकय के बाद अपने परिवार के अन्य सदस्यों को साथ लेकर भाजपा नेता के शो-रूम में पहुंच गए, कहना न होगा कि नेताजी ने भी फिर उनके पूरे परिवार का स्वागत केवल जूतों से किया।