अमेरिका-चीन की लड़ाई में भारत बनेगा प्लेयर ऑफ दी वॉर?
भारत का उभरता कद अमेरिका-चीन विवाद में
टैरिफ वॉर के चलते अमेरिका और चीन के बीच व्यापार में भारी कमी की संभावना है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस संघर्ष का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर हो सकता है। भारत को इस स्थिति से फायदा या नुकसान हो सकता है, इस पर चर्चा जारी है।
टैरिफ पर देश-दुनिया में जंग का माहौल है। टैरिफ को लेकर अमेरिका और चीन के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि दोनों देश के बीच जारी टैरिफ वॉर से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है। ऐसे में दोनों देशों के बीच व्यापार 80 फीसदी तक कम होने की संभावना है। इस स्थिति में चर्चा हो रही है कि भारत को इस वर्ल्ड वॉर से क्या फायदा होने वाला है या नुकसान झेलने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।
टैरिफ वॉर भयंकर
बता दें कि चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ वॉर भयंकर रूप लेते हुए दिख रहा है। जिस तरह से यह युद्ध बढ़ा है, उससे दोनों देशों के बीच कारोबारी रिश्ते लगभग खत्म होते दिख रहे हैं। अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे पर बहुत ज़्यादा टैक्स लगा दिए हैं। ऐसे में दोनों देशों को आपस में व्यापार करना मुश्किल है। इसपर WTO ने कुछ दिन पहले एक चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि इस लड़ाई से दोनों देशों के बीच वस्तुओं का व्यापार 80 फीसदी तक कम हो सकता है। वहीं दुनिया की दो मजबूत अर्थव्यवस्थाओं के बीच यह लड़ाई विश्व लेवल पर आर्थिक मंदी ला सकता है। इससे ग्लोबल GDP में 7 फीसदी की कमी देखी जा सकती है।
अमेरिका-चीन में घमासान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन से आयात शुल्क बढ़ा दिया था , इसके बाद जवाबी तौर पर चीन ने भी अमेरिका से आयातित सामानों पर टैरिफ बढ़ा दिया। ट्रम्प ने ऐसे में चीन के साथ ऐसा कर के यह साबित कर दिया है कि चीन से अमेरिका ने दूरी बना ली है। जहां अमेरिका ने दूसरे देशों पर लगाए टैरिफ को तीन माह तक रोक लगा दिया है। वहीं चीन को इस छूट से बाहर रखा गया है। इस स्थिति में चर्चा तेज है कि क्या भारत अमेरिका और चीन की लड़ाई में खिलाड़ी बनेगा या कोई और बाजी मार जाएगा।
क्या कोई और मारेगा बाजी?
ऐसा कहना मुश्किल हो सकता है कि भारत के अलावा और कौन देश होगा जो इस लड़ाई का अधिक फायदा उठा पाएगा। कुछ देशों को लेकर चर्चा तेज है कि वियतनाम और मेक्सिको पहले से ही कुछ कंपनियों के लिए आकर्षक विकल्प के रूप में उभरे हैं। यूरोपीय संघ और जापान जैसी अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाएं भी कुछ क्षेत्रों में फायदा हो सकती हैं।