For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

क्या श्रृंगला विदेश मंत्री बनेंगे ?

04:21 AM Jul 20, 2025 IST | त्रिदीब रमण
क्या श्रृंगला विदेश मंत्री बनेंगे

देखो अपनी ख्वाहिशों के बोझ में,
मैं जला-बुझा हूं बहुत
बकी है ये हसरत कि रोशनी बन कर जलूं सुबह होने तक’

क्या डा. हर्षवर्द्धन श्रृंगला के रूप में देश को नया विदेश मंत्री मिल सकता है? पूर्व विदेश सचिव श्रृंगला को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पिछले दिनों राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। डा. श्रंृगला कई कारणों से पीएम मोदी के बेहद भरोसेमंदों में शुमार होते हैं। अमेरिका से भी इनके निजी ताल्लुकात बेहतर बताए जाते हैं, जब अमेरिका में बतौर भारतीय राजदूत इनका कार्यकाल पूरा हुआ था तब तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इनके लिए व्हाइट हाउस में ‘फेयरवैल पार्टी’ रखी थी। कहते हैं जब ये अमेरिका में भारत के राजदूत थे तो इन्होंने 2019 में ‘हाउडी मोदी’ की संकल्पना को मूर्त रूप देने का काम किया था। यह वही दौर था जब मोदी व ट्रंप का दोस्ताना अपने परवान पर था। श्रृंगला अपने रिटायरमेंट के बाद भी समय-समय पर मोदी को भारत की विदेश नीति को लेकर ब्रीफ करते रहे हैं। मोदी ने श्रंृगला को ही भारत में आयोजित होने वाले जी-20 का चीफ कोऑर्डिनेटर बनाया था। पिछले दिनों ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की वकालत करने भारतीय संसदों के जो प्रतिनिधिमंडल विदेश गए थे, उनमें विशेष तौर पर श्रृंगला को भी शामिल किया गया था। सरकार श्रृंगला को एस. जयशंकर की कुर्सी पर बिठाना चाहती है।
मानसून सत्र के लिए विपक्ष का हमलावर रुख
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक आहूत है, इस सत्र में विपक्ष सत्ता पक्ष पर खासा हमलावर रहने वाला है, इस बात के संकेत अभी से मिलने शुरू हो गए हैं। एक ओर जहां संयुक्त विपक्ष सरकार को घेरने को चाक चौबंद तैयारियों में जुटा है, वहीं इन बातों से बेपरवाह मोदी के नेतृत्व वाला सत्ता पक्ष मानसून सत्र में विधेयकों की बारिश करना चाहता है। सूत्र बताते हैं कि सोमवार से शुरू होने वाले इस सत्र में सत्ता पक्ष कम से कम 8 विधेयकों को लेकर आना चाहता है। इसमें जीएसटी बिल, मणिपुर संशोधन बिल, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक इसके अलावा इसी सत्र में न्यू इंकम टैक्स बिल भी लाया जा सकता है। इस मसले पर भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली लोकसभा प्रवर समिति की रिपोर्ट सत्र शुरू होते ही पेश की जा सकती है। वहीं विपक्ष पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर, बिहार में चुनाव पूर्व चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची में गहन पुनरीक्षण (सर) जैसे मुद्दों को सदन में उछालने की तैयारियों में है। इसके अलावा ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को आधार बनाकर भी सरकार को घेरा जा सकता है जिसमें ट्रंप ने दावा किया था कि ‘भारत-पाक के दरम्यान उन्होंने ही युद्ध विराम करवाया था।’ इसके अलावा अहमदाबाद विमान हादसे को लेकर भी विपक्ष सरकार से कई गंभीर सवाल पूछ सकता है। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने भले ही फिर से सुप्रीम कोर्ट में अपने लिए नए सिरे से न्याय की गुहार लगाई हो, पर माना जाता है कि उनके खिलाफ आरोपों की जांच के लिए सदन एक समिति के गठन की सिफारिश कर सकता है। समिति के लिए भी तीन महीनों की तय समय सीमा में अपनी रिपोर्ट देनी जरूरी होगी। विपक्ष न्यायमूर्ति शेखर यादव के खिलाफ भी महाभियोग लाने के लिए कमर कस चुका है, पर गेंद फिलहाल उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के पाले में है जो शायद ही विपक्ष की मांगों पर कान धरें। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने की तैयारी है, विपक्ष इस मुद्दे को लेकर काफी हो-हल्ला मचा सकता है। विपक्ष पहले भी पहलगाम हमले को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग के साथ प्रधानमंत्री को एक पत्र लिख चुका है, पर विपक्ष की डिमांड अनसुनी करते हुए सरकार ने संसद के मानसून सत्र की घोषणा कर दी। विपक्ष सरकार को घेरने के लिए एक के बाद एक कई बैठकें कर रहा है, पहले सोनिया गांधी के घर एक बैठक हुई, इसके बाद कई विपक्षी पार्टियों का कांग्रेस के साथ ऑनलाइन बैठकों का सिलसिला शुरू हुआ, इनमें से एक बैठक में हैरतअंगेज तरीके से ​िशवसेना उद्धव की पार्टी भी शामिल हुई, कई कयासों को धत्ता बताते कि उसने अंदरखाने से भाजपा से हाथ मिला लिया है।
क्या इस भाजपा सीएम की गद्दी जाने वाली है?
अभी कुछ समय पहले ही तो इस अनजाने से भगवा चेहरे की ढोल-नगाड़ों की थाप पर ताजपोशी हुई थी, कई हैवीवेट नेताओं, नेत्रियों को चित्त करते इन्होंने सियासी बियावां से सत्ता के जगमगाते रंगमंच का सफर तय किया था। अब इनकी छोटी-छोटी गलतियां इन पर भारी पड़ने लगी हैं, पहले एक चैनल की महिला रिपोर्टर के साथ इनकी सीडी की गुपचुप चर्चा सुनी गई। फिर इनकी बेजा आदतों से परेशान होकर इनकी पार्टी की ही कुछ महिला विधायकों ने पार्टी शीर्ष के समक्ष इनके असहज व्यवहार को सवालों के कठघरे में ला खड़ा किया। बेहद भरोसेमंद सूत्रों का दावा है कि अभी-अभी कुछ रोज पहले ही एक बड़े व संपन्न राजनैतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली भाजपा की एक महिला विधायक को अपने सीएम का व्यवहार अपने प्रति किंचित अशोभनीय लगा, सो फौरन यह बात उन्होंने पार्टी शीर्ष तक पहुंचा दी।
सूत्रों का दावा है कि एक दफे जब यह महिला विधायक अपने सीएम से किसी कार्यवश मिलने पहुंची तो सीएम साहब ने उन्हें छेड़ते हुए कह दिया-‘क्या बात है आजकल तो आप मिलती ही नहीं?’ महिला विधायक ने फौरन प्रतिवाद करते हुए कहा-‘क्या बात करते हैं सर, पिछले कुछ दिनों में ही मैं आप से चार बार मिल चुकी हूं।’ इस पर सीएम साहब ने चुटकी लेते हुए कहा-‘आप जब भी मिलती हो कोई काम लेकर ही आती हो, कभी बिना काम के भी मिला करो।’ यह बात और सीएम साहब की भाव-भंगिमाएं विधायक महोदया को बेहद नागवार गुजरी और उन्होंने फौरन इस बात की शिकायत दिल्ली स्थित पार्टी के एक बड़े नेता से कर दी। फिर क्या था अगले ही कुछ रोज में सीएम साहब को दिल्ली से बुलावा आ गया, उनकी जबर्दस्त क्लास लगाई गई, उनके परफॉरमेंस और लोकप्रियता में लगातार गिरते ग्राफ का हवाला देकर उनसे रुखसती के लिए तैयार रहने को कहा गया है। पर भगवा राज में ‘यथास्थितिवाद’ से निपटना भी तो एक बड़ी चुनौती है।
‘रामराज्य” की रेस में सीता
जैसे-जैसे भाजपा के नए अध्यक्ष की घोषणा के पल धीरे-धीरे करीब आ रहे हैं, मैदान में कई नए रणबांकुरे भी चहलकदमी करते देखे जा रहे हैं। जैसे अभी कुछ रोज पहले ही एकदम से अचानक भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सीधे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नई दिल्ली स्थित उनके घर पहुंच गए। समझा जाता है कि इन दोनों नेताओं ने डेढ़ घंटे तक किसी अहम विषय पर गंभीर मंत्रणा की, फिर नड्डा वापिस लौट आए। एक प्रमुख टीवी न्यूज एजेंसी ने बकायदा इस खबर को चला भी दिया, पर महज़ डेढ़ मिनट के अंदर इस खबर को हटा लिया गया। कहने वाले अब दावा कर रहे हैं कि निर्मला सीतारमण को भाजपाध्यक्ष बना भाजपा एक तीर से कई शिकार कर सकती है, एक तो भाजपा पहला महिला अध्यक्ष देने का श्रेय ले सकती है। निर्मला खुद तमिलनाडु से हैं और इसके पति आंध्र से ताल्लुक रखते हैं। इस दाव से भाजपा दक्षिण में अपना भगवा गढ़ मजबूत करने का उपक्रम भी साध सकती है। बाकी जवाब तो समय ही देगा।’
... और अंत में
बिहार में अकड़ों के नेता के तौर पर भूमिहार जाति से ताल्लुक रखने वाले प्रशांत किशोर तेजी से उभर रहे हैं। कहा जाता है कि पिछले दिनों पीके ने अपनी नवगठित ‘जन सुराज पार्टी’ की संभावनाओं को टटोलने के लिए बिहार में एक राज्यव्यापी जनमत सर्वेक्षण करवाया। उसके नतीजों ने उन्हें एक नई राजनैतिक संजीवनी दी है। इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक जन सुराज पार्टी का वोट शेयर मौजूदा तारीख में 6 फीसदी के आसपास आ गया है। पहले यह वोट शेयर 2 फीसदी बताया जा रहा था, पीके जानते हैं कि 6 फीसदी वोट शेयर के निहितार्थ बहुत गहरे हैं, वे सिर्फ लालू-कांग्रेस के लिए नहीं बल्कि भाजपा-जदयू के लिए भी एक चुनौती बन कर उभर रहे हैं।
राज्य की बदली बयार को देखते हुए नीतीश भी भाजपा के सम्मुख अड़ गए हैं कि ’सीट शेयरिंग से पहले उन्हें सीएम कैंडिडेट घोषित किया जाए’, नीतीश ने सीटों के बंटवारे को लेकर ’सीटिंग-गेटिंग’ का फार्मूला मानने से इंकार कर दिया है। पीके पहले भविष्यवाणी कर चुके हैं कि इस बार नीतीश 25 सीटों पर ही सिमट जाएंगे। प्रशांत इस बात से भी खुश हैं कि बिहार के लोग उन्हें पीके के बजाए इन दिनों ‘पांडेय जी’ का संबोधन दे रहे हैं, जो कि उनके जातीय मान्यता की स्वीकार्यता को दर्शाता है।

Advertisement
Advertisement
Author Image

त्रिदीब रमण

View all posts

Advertisement
×