क्या थरूर को मोदी कैबिनेट में लिया जाएगा?
कांग्रेस नेता शशि थरूर की बदली भाव-भंगिमाओं से राहुल मंडली की पेशानियों पर बल…
’तू मुझे अपने साथ रखना नहीं चाहता, मैं तेरे साथ रहना नहीं चाहता
फिर क्या हुआ जो हम दोनों अपने-अपने अलग रास्तों पर चल पड़े हैं’
कांग्रेस नेता शशि थरूर की बदली भाव-भंगिमाओं से राहुल मंडली की पेशानियों पर बल हैं, पिछले कुछ दिनों में थरूर ने जिस तरह पीएम मोदी और भाजपा के प्रति अपने नरम रुख का इजहार किया है इससे कांग्रेस शीर्ष की भाव-भंगिमाएं उनके प्रति किंचित और कठोर हो गई हैं। थरूर से जुड़े सूत्र खुलासा करते हैं कि अब चूंकि थरूर 70 साल के हो गए हैं तो वे अब और लंबा इंतजार नहीं कर सकते। हालांकि अगले वर्ष केरल में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं सो, राज्य के तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर चाहते थे कि कांग्रेस उन्हें इस बार केरल से अपना सीएम फेस बनाए, ऐसा नहीं है कि केरल कांग्रेस में थरूर को चाहने वालों की कोई कमी है, पर कांग्रेस में आमतौर पर ऐसे अहम निर्णय राहुल गांधी की ओर से लिए जाते हैं, फिर राहुल अपनी भावनाओं से पार्टी अध्यक्ष खड़गे को अवगत करा देते हैं, जहां से राहुल के चाहे अनुरूप फैसला हो जाता है। कहते हैं केरल को लेकर राहुल के मन में बस दो ही नाम चल रहे हैं, इनमें से एक नाम उनके बेहद भरोसेमंद केसी वेणुगोपाल का है, दूसरा नाम रमेश चेन्निथला का है। राहुल की भावनाओं को समझते हुए ही शशि थरूर ने धीरे-धीरे भाजपा से अपनी पींगें बढ़ानी शुरू कर दीं, उन्होंने कई मौकों पर खुल कर पीएम मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़ दिए, पीएम ने भी उनकी तारीफ कर एक संवाद सेतु बनाने का काम किया। अब सूत्र बताते हैं कि थरूर बहुत जल्दी मोदी कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं, इससे पहले वे अपनी लोकसभा की सदस्यता छोड़ सकते हैं और राज्यसभा के सहारे ऊपरी सदन में लाए जा सकते हैं। सूत्रों का दावा है कि उन्हें देश का अगला मानव संसाधान विकास मंत्री बनाया जा सकता है, फिलहाल यह मंत्रालय धर्मेंद्र प्रधान के जिम्मे हैं, प्रधान के बारे में माना जा रहा है कि वे भाजपा के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। एक बात और अगर थरूर केंद्र में मंत्री बन जाते हैं तो भी भाजपा केरल चुनाव में उन्हें अपने सीएम फेस के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकती है।
क्या प्रधान को मिलेगी भाजपा की प्रधानी?
यूं कायदे से तो भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा मई के आखिरी सप्ताह तक हो जानी चाहिए थी, पर पहले पहलगाम आतंकी हमला और उसके बाद ’ऑपरेशन सिंदूर’ से भारत के पलटवार की वज़ह से यह मामला टल गया। भाजपा से जुड़े सूत्र खुलासा करते हैं कि 15 जून के बाद कभी भी नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो सकती है, क्योंकि यूपी समेत चार अहम राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों के नाम की घोषणा होनी अभी बाकी है। नए अध्यक्ष के तौर पर फिलहाल केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का नाम फाइनल माना जा रहा है। हालांकि उनके समांतार भूपेंद्र यादव का नाम भी रेस में बरकरार है। पर कहा जा रहा है कि संघ और मोदी की पसंद के तौर पर धर्मेंद्र प्रधान को ही देखा जा रहा है। वैसे भी प्रधान और यादव दोनों ही ओबीसी नेता हैं, जिसका फायदा भाजपा को बिहार और यूपी के चुनाव में मिल सकता है। बिहार विधानसभा चुनाव अक्तूबर-नवंबर माह में प्रतीक्षित हैं।
माया का असीमित आकाश
सियासी बियांबा के गर्दो-गुबार में माया का भटका हुआ हाथी अब भी अपने सही ठौर की तलाश में है। ताजा मामला मायावती के अपने भतीजे आकाश आनंद से जुड़ा हुआ है। पहले तो अपने भतीजे पर अनुशासन का चाबुक चलाती माया मेमसाहब ने आकाश को बसपा से बाहर का दरवाजा दिखा दिया। अब फिर से उन्हें एक मौका और देने की बात कहते हुए पार्टी का नंबर दो बनाते हुए सीधे ’चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर’ बना दिया, इससे पहले आकाश दो बार पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर रह चुके हैं।, बसपा तीन हिस्सों में बंटी है, उत्तर भारत, पूर्वोंत्तर और दक्षिण भारत। इसके लिए पहले से तीन नेशनल कोऑर्डिनेटर नियुक्त हैं, ये हैं-राजा राम, रामजी गौतम और रणधीर सिंह बेनीवाल, अब ये तीनों आकाश को रिपोर्ट करेंगे। एक वक्त जब मायावती को लगा कि आकाश अपने ससुराल वालों के ज्यादा प्रभाव में है तो नाराज़ होकर उन्होंने अपने भतीजे को बसपा से बाहर कर दिया। आकाश ने बाकायदा एक ट्वीट कर इस बात के लिए अपनी बुआ से माफी मांग ली, आकाश ने लिखा-’मैं अपने रिश्ते-नातों व खास कर अपने ससुराल वालों को पार्टी के हित में कभी आड़े नहीं आने दूंगा’ इसके बाद आकाश की पत्नी ने भी मायावती से जाकर माफी मांग ली और उनसे यह वायदा किया कि ’अब वह उनकी अनुमति के बगैर कभी अपने मायके का रुख नहीं करेगी।’ इसके बाद मायावती ने इन दोनों को माफ कर दिया और आकाश को पार्टी में नंबर दो के ओहदे पर विराजमान करा दिया।
क्या सुप्रिया की भी होगी ताजपोशी
खबर है कि मोदी कार्यकाल-3 के एक साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भाजपा जहां देशभर में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित कर रही है, वहीं अंदरखाने चर्चा यह भी है कि इस मौके पर मोदी कैबिनेट में व्यापक फेरबदल भी हो सकता है। जिन नए मंत्रियों के नाम की चर्चा है, उसमें सुप्रिया सूले से लेकर शशि थरूर भी शामिल हैं।
पिछले काफी समय से शरद पवार ने भी केंद्रनीत मोदी सरकार को लेकर अपने सुर बदल लिए हैं, जब शिवसेना उद्धव के नेता संजय राउत ने सांसदों के प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजे जाने को लेकर सवाल उठाए तो सीनियर पवार ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ’भारत सरकार की यह परंपरा पुरानी है, वे खुद भी वाजपेयी के साथ भारत का पक्ष रखने के लिए एक बार विदेश जा चुके हैं।’
मोदी सरकार ने पवार पुत्री सुप्रिया सूले को भी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल का मुखिया बनाया है। सूले की नेतृत्व वाला यह प्रतिनिधिमंडल मिस्र, कतर, इथोपिया और दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर निकला हुआ है। इससे पहले सुप्रिया ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिर्काजुन खड़गे को ही बेतरह लताड़ दिया था, जब खड़गे ने भारत-पाक मौजूदा संघर्ष को छुटपुट लड़ाई करार दिया था। सूत्रों की मानें तो चाचा (शरद), भतीजे (अजित) के पार्टी के विलय की पूरी पटकथा लिखी जा चुकी है और अगर यह पटकथा अपने मुकाम तक पहुंचती है तो केंद्रनीत मोदी सरकार को शरद पवार गुट के 8 सांसदों का अतिरिक्त समर्थन प्राप्त हो जाएगा, इससे भाजपा की नीतीश-नायडू पर से निर्भरता थोड़ी कम हो जाएगी।
यूपी में साइकिल
’ऑपरेशन सिंदूर’ होने के बाद उसके व्यापक असर व जन समर्थन को आंकने के लिए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने दो प्रमुख एजेंसियों से यूपी में दो अलग-अलग सर्वे करवाए हैं, इस सर्वेक्षण के नतीजों से अखिलेश के हौसले बम-बम हैं, क्योंकि पहले की तरह ही राज्य में सपा का ग्राफ उठता दिखाई दे रहा है। योगी आदित्यनाथ को अखिलेश की सपा बराबर की टक्कर देती दिख रही है, इस बात से उत्साहित होकर अखिलेश ने एक बार फिर से कह दिया है कि 2027 का यूपी विधानसभा चुनाव वे इंडिया गठबंधन के साथ मिल कर ही लड़ेंगे।
मोदी और महिला वोटर
पीएम मोदी 31 मई को भोपाल में होंगे, जहां वे लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते दिखेंगे। यह कार्यक्रम कई मायनों में अभूतपूर्व रहने वाला है क्योंकि मंच संचालन से लेकर मोदी की सुरक्षा व्यवस्था तक का सारा जिम्मा महिलाएं ही संभालेंगी।
यानी ट्रैफिक संचालन, समस्त सुरक्षा व्यवस्था, अतिथि सत्कार से लेकर मंच संचालन का संपूर्ण जिम्मा केवल महिलाओं का ही होगा। माना जाता है कि इस कार्यक्रम में दो लाख से ज्यादा महिलाएं शिरकत करेंगी।
कहते हैं पीएम मोदी को देश की महिला वोटरों का समय-समय पर विशेष समर्थन मिला है। सो, उनका यह मौजूदा उपक्रम बिहार की महिला वोटरों को प्रभावित कर सकता है जहां अगले कुछ महीनों में विधानसभा के चुनाव होने हैं।
…और अंत में
सूत्रों का दावा है कि एक रीजनल पार्टी की फायरब्रांड महिला नेत्री का विवाह तय हो गया है। सूत्र बताते हैं कि वह अपने एक पुराने वकील मित्र के साथ 20 जून को डेनमार्क में सात फेरे लेने वाली हैं।
यह वकील एक पूर्व सांसद भी हैं। पिछले दिनों इनका तलाक एक बड़ी राशि (कई सौ करोड़ रुपयों) के साथ सेट्ल हुआ है। माना जाता है कि वकील साहब के पुत्र व पुत्री को भी उनके इस नए रिश्ते से कोई खास परेशानी नहीं है।
(www.parliamentarian.in)