बिहार में ‘भगवा सम्राट’ की ताजपोशी होगी?
सियासत को भी रंग बदलना क्या खूब आता है और इसकी तासीर में अगर भगवा रंग…
‘मंदिर की सीढ़ियों पर जलते दीयों
से ये वास्ता है मेरा
मैं इबादत में नहीं हूं, पर रोज़ का
ये रास्ता है मेरा’
सियासत को भी रंग बदलना क्या खूब आता है और इसकी तासीर में अगर भगवा रंग घुल जाए तो रंग आसमानों के भी बदल सकते हैं। यही कुछ बिहार में हो रहा है, नीतीश कुमार को महिमा मंडित करने वाले भगवा बयानों की झड़ी है, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तो नीतीश कुमार के लिए ‘भारत रत्न’ की मांग कर दी है, अब नीतीश बाबू कोई सचिन तेंदुलकर तो हैं नहीं जो भारत रत्न लेकर भी चौके-छक्के उड़ाते दिखें, औरों का माल टीवी पर बेचते दिखें। यानी भाजपा का इरादा साफ दिखता है कि सुशासन बाबू भारत रत्न लेकर सियासी लहरें गिनें और बिहार में भगवा पार्टी के लिए पूरा मैदान खाली करें।
सूत्रों का दावा है कि भाजपा ने बिहार में नीतीश के विकल्प के तौर पर पिछड़ी जाति की नुमाइंदगी करने वाले अपने मौजूदा उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर दांव लगाने का पूरा मन बना लिया है। इस बात के इशारे तब से मिलने लगे हैं जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 21 दिसंबर को जैसलमेर में हो रही जीएसटी काउंसिल की एक अहम बैठक को अधबीच छोड़ वे एक खास विमान से दिल्ली के लिए उड़ गए, जहां उनकी एक बड़े नेता से एक आपात बैठक आहूत थी। भाजपा भले ही अब खुले मंचों से यह कहते घूम रही है कि ‘2025 का आगामी बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा, पर भगवा इरादों की भनक अब तलक किसी को कभी लग पाई है क्या?’
सम्राट चौधरी पर दांव लगाने के पीछे भाजपा नेतृत्व का तर्क है कि सम्राट चौधरी एक जुझारू प्रवृति के नेता हैं जो कोइरी जाति से ताल्लुक रखते हैं। सम्राट के पिता शकुनि चौधरी भी बिहार में कोइरी जाति के बड़े नेताओं में शुमार होते हैं, सम्राट ने पहले से ऐलान कर दिया है कि ‘वे अपने पिता के 89वें बर्थडे यानि 4 जनवरी को बेहद धूमधाम से मनाएंगे।’ सब भाजपा की सुविचारित रणनीतियों के मुताबिक चला तो नीतीश अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए बिहार चुनाव से पूर्व भी सम्राट के लिए अपनी गद्दी छोड़ सकते हैं। ऐसे हुआ तो फिर बिहार में भगवा इरादे फलफूल सकते हैं।
भाजपा का नया अध्यक्ष कब तक?
भाजपा के नए अध्यक्ष को लेकर कयासों का बाजार गर्म है, रोज एक नया नाम हवाओं की सिरमौरी में शामिल हो जाता है। सूत्रों की मानें तो पार्टी का नया अध्यक्ष भाजपा के बड़े नेताओं की पंसद का होगा। नए अध्यक्ष की घोषणा 20 जनवरी या फिर दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद हो सकती है। अध्यक्षीय कड़ी में नया नाम झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का जुड़ा है। इन्हें औचक तरीके से ओडिशा के राज्यपाल पद से इस्तीफा दिलवाया गया है। यह तेली यानि बनिया जाति से आते हैं जो झारखंड में पिछड़ी जाति में शुमार है। दास राज्य के मुख्यमंत्री, विधायक दल के नेता और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं, इन्हें संगठन चलाने का अनुभव भी है, पर चूंकि पार्टी को झारखंड में भी अपने लिए एक नए सिरमौर की तलाश है, सो उन्हें वहां का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है। पर सबसे बड़ा दावा मनोहर लाल खट्टर के नाम को लेकर है।
संघ चाहता है कि अगला अध्यक्ष कम से कम उस कद का हो जो फोन उठा कर सीधे पीएम मोदी संग संवाद स्थापित कर सकें। इस नाते भी खट्टर का दावा सबसे मजबूत है, वे मोदी के पुराने दोस्तों में शुमार होते हैं। संघ के वे प्रचारक रह चुके हैं, आज भी संघ से उनके निजी िरश्ते बेहद मधुर हैं। संघ में काम करते हुए वे जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के क्षेत्रीय प्रभारी भी रह चुके हैं, नाम तो मुरलीधर राव, धर्मेंद्र प्रधान व भूपेंद्र यादव के भी चल रहे हैं, पर मोदी के मन में क्या है यह तो बस परमात्मा ही जानता है।
निर्मला व वसुंधरा भी हैं रेस में
संघ की ओर से हरियाणा चुनाव से पहले ये विचार आया था कि चूंकि 2025 में संघ अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है, सो नए मिथक गढ़ने के लिए भाजपा को पहली महिला अध्यक्ष मिलनी चाहिए। इस कड़ी में पहला नाम राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसंुधरा राजे सिंधिया का उछला। इसके बाद वसुंधरा की पीएम से वन-टू-वन तीन मुलाकातें भी हो गईं। इसके बाद वसंुधरा को भी सार्वजनिक रूप से कहना पड़ा कि झालावाड़ को उसके हिस्से का पानी दिलाने के लिए वह पीएम से मिली थीं जो किसी कारणवश कोटा चला गया है।
खैर, इस कड़ी में सबसे ताजा नाम केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का जुड़ा है। जो चेन्नई में पैदा हुईं, वहां पली-बढ़ीं, इनकी शादी हैदराबाद में हुई और जो एक अन्य दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक से राज्यसभा सांसद हैं। इन्होंने अपनी हायर एजुकेशन नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से पूरी की है, कहते हैं इस विश्वविद्यालय की कोख से प्रगतिशील विचारधारा पनपती है। डॉ. मनमोहन सिंह के बाद वह पहली ऐसी वित्त मंत्री हैं जिन्होंने बतौर वित्त मंत्री अपना पूरा कार्यकाल पूर्ण किया है। इस दफे जब संसद में संविधान दिवस पर चर्चा शुरू होनी थी तो यह कार्य पहले जेपी नड्डा को सौंपा गया था, पर बाद में इस चर्चा की शुरूआत निर्मला सीतारमण से कराई गई।
क्या अमेरिका में भारतीयों पर गिरेगी गाज?
आने वाली 20 जनवरी 2025 को डोनाल्ड ट्रंप दोबारा अमेरिका के सिंहासन पर काबिज होने जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो अपने पद पर दुबारा काबिज होते ही ट्रंप अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा फैसला लेने जा रहे हैं और वह फैसला होगा 15 लाख ऐसे अप्रवासियों को ‘देश निकाला’ देना जो पिछले कई सालों से गैर कानूनी तरीके से अमेरिका में रह रहे हैं। वहां के ‘यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम इंफोर्समेंट’ ने इस सूची को अंतिम रूप दिया है। इस कड़ी में डेढ़ लाख ऐसे अप्रवासियों की पहली सूची तैयार की गई है जिन्हें यह साल शुरू होते ही अमेरिका से ‘देश निकाला’ मिल जाएगा। दुर्भाग्यवश इस पहली लिस्ट में 17,940 ऐसे भारतीयों के नाम भी शामिल हैं जिन पर यह गाज गिर सकती है, इस लिस्ट में शामिल भारतीयों में सबसे ज्यादा लोग गुजरात, पंजाब और आंध्र प्रदश जैसे राज्यों से हैं।
सूत्रों की मानें तो अमेरिका के होमलैंड सिक्यूरिटी विभाग की एक रिपोर्ट में भारतीय अधिकारियों पर भी समन्वय न करने, रिपोर्ट की प्रक्रिया को जटिल बनाने और सहयोगी रवैया नहीं अपनाने के आरोप लगाए गए हैं। सनद रहे कि बीते तीन वर्षों में लगभग 90 हजार भारतीयों को अवैध रूप से अमेरिकी सीमा में दाखिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, इन गिरफ्तार भारतीयों में सबसे बड़ी तादाद गुजरात के लोगों की बताई जाती है। अमेरिकी रिपोर्ट में यह भी दावा हुआ है कि 15 लाख अवैध अप्रवासियों की सूची में लगभग आधे नाम यानी 7.5 लाख नाम भारतीयों के हैं।
पवार के भाजपा से तार
पिछले दिनों दिग्गज मराठा नेता शरद पवार ने नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर कुछ सीनियर मराठी पत्रकारों को अनौपचारिक लंच पर आमंत्रित किया था। चूंकि मीडिया में बराबर से ये कयास लगाए जा रहे थे कि पवार ने पीएम को फोन कर ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर गठित जेपीसी में अपनी पुत्री सुप्रिया सुले (जो बारामती से सांसद भी हैं) को शामिल करने की गुजारिश की थी और पीएम मोदी ने अंततः उनके इस आग्रह को मान भी लिया। सो, पत्रकारगण जानना चाहते थे कि ‘क्या पवार भाजपा से अपनी नजदीकियां फिर से बढ़ाना चाहते हैं?’ तो बड़े पवार का जवाब आया-वे मरते दम तक अब भाजपा के साथ नहीं जाएंगे, बल्कि नए साल में वे महाराष्ट्र में एक यात्रा निकालेंगे, उनकी इच्छा राज्य के हर विधानसभा के लोगों से मिलने की है।’ अजित पवार फिर से क्या उनके साथ आएंगे? इसके जवाब में बड़े पवार का कहना था कि जो नेता अपनी पत्नी व पुत्र को भी चुनाव न जितवा पाए, वह हमारे किस काम का?
…और अंत में
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को जब कांग्रेस मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया तो कांग्रेस ने उसके कवरेज के लिए न्यूज एजेंसी एएनआई को तो इजाजत दे दी, पर दूरदर्शन के कैमरों को मना कर दिया गया, वहीं निगम बोध घाट में डॉ. सिंह की अनंत यात्रा में भाजपानीत सरकार ने दूरदर्शन के लिए हामी भर दी, पर एएनआई वहां नहीं थी। सो, पूरे कवरेज में भाजपा के नेतागण ही छाए रहे, गांधी परिवार पर बमुश्किल ही कैमरा गया। प्रेस फोटोग्राफरों को तो दोनों ही जगह पर पहले ही मना कर दिया गया था।