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Satellite Debris: जानिए क्या होता है अंतरिक्ष में खराब हो चुके सैटेलाइट का, आखिर कहां रखा जाता है इसके मलबे को

06:10 AM May 26, 2024 IST
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Satellite Debris : पृथवी पर कई जगहें खास है, जिसमे जिसमें पहाड़, घाटियाँ, मैदान और भी बहुत कुछ शामिल है। आज हम ऐसे ही एक खास जगह की बात करने जा रहे हैं जहां सैटेलाइट के खराब होने के बाद इसके मलबे को रखा जाता है। इस जगह को प्वाइंट निमो कहा जाता है। ये जगह आम जान जीवन से इतनी दूर है कि वहां पहुंच पाना आम इंसान के लिए लगभग नामुमकिन होता है।

आइये सबसे पहले जानते हैं सैटेलाइट यानी उपग्रह के बारे में, उपग्रह वह चीज़ है जो किसी ग्रह या तारे की परिक्रमा करती है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करने वाला एक उपग्रह है। चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला एक उपग्रह है। जब आप किसी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा में ले जाते हैं, तो वह भी एक उपग्रह होता है। सैटेलाइट दो तरह के होते हैं एक प्राकृतिक और दूसरा मानव निर्मित, आज हम जिन सैटेलाइटस की की बात कर रहे हैं वो है मानव निर्मित सैटेलाइट हैं। दरसल ये मानव निर्मित सैटेलाइट अब धरती के ऊपर स्पेस में इतनी मात्रा में हो गए है की चारो तरफ मंडरा रहे हैं। और जब सैटेलाइट पुराने हो जाते हैं या खराब हो जाते हैं तो इनके अचानक गिरने पर बड़ी तबाही मच सकती है। इसलिए इसके मलबे को खास स्थान यानी प्वाइंट निमो पर रखा जाता है।

क्या होता है सैटेलाइट का ख़त्म होना
हर मशीन की तरह सैटेलाइट भी खत्म होते हैं। वे हमेशा के लिए अंतरिक्ष में नहीं रह सकते। उनके अचानक गिरने पर बड़ी तबाही मच सकती है। तो फिर एक्सपायर होने जा रहे सैटेलाइट को आखिर कहां और कैसे ठिकाने लगाया जाता है? जानिए

क्या होता है प्वाइंट निमो
प्वाइंट निमो मतलब समुद्र का केंद्र समझ सकते हैं। जहां से धरती तक पहुंचना आसान नहीं है। निमो शब्द लैटिन भाषा से है, जिसके मायने हैं- कोई नहीं। जब किसी जगह को निमो पॉइंट कहा जाता है तो इसका अर्थ है कि वहां कोई नहीं रहता। ये जगह सूखी जमीन से सबसे दूर की जगह होती है, यानी समुद्र के बीचों बीच। इसे समुद्र का केंद्र भी माना जाता है। ये जगह दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच स्थित है।

क्या होता है सैटेलाइट का मलबा
स्पेस साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, जब कोई सैटेलाइट एक्सपायर हो जाता है या खराब हो जाता है तो उसे हटाने के दो विकल्प होते हैं. ये दोनों विकल्प इस बात पर निर्भर करते हैं कि सैटेलाइट धरती के ऑर्बिट से कितनी दूरी पर मौजूद है।अगर सैटेलाइट हाई ऑर्बिट में है तो वैज्ञानिक उसे स्पेस में ही और आगे भेज देते हैं, ताकि वो धरती के ऑर्बिट से दूर हो जाए और पृथ्वी पर उसके गिरने का कोई खतरा ना हो। जबकि, अगर सैटेलाइट लो ऑर्बिट में होता है तो वैज्ञानिक उसे धरती पर लैंड करा देते हैं। लेकिन लैंडिंग के दौरान सैटेलाइट का ज्यादातर हिस्सा पूरी तरह बर्बाद हो जाता है. इसे ही सैटेलाइट का मलबा कहते हैं।

आज तक कोई नहीं जा सका यहां
खत्म हो चुके सैटेलाइट (satellite) को समुद्र के केंद्र में गिराया जाता है। ये जगह धरती से इतनी दूर है कि इसकी खोज करने वाला वैज्ञानिक तक यहां नहीं जा सका। निमो पॉइंट किसी खास देश की सीमा में नहीं आता, बल्कि इसके सबसे करीब के द्वीप को भी देखना चाहें तो वो लगभग 2,688 किलोमीटर की दूरी पर है। इस जगह की आबादी से दूरी और दुर्गमता का अनुमान इससे लगता है कि इस जगह की खोज करने वाला तक यहां नहीं गया। एक कनाडियन मूल के सर्वे इंजीनियर Hrvoje Lukatela ने खास फ्रीक्वेंसी के जरिए इसका पता लगाया था। ये आज से लगभग 27 साल पहले की घटना है। इसके बाद इस जगह का इस्तेमाल होने लगा।

सबसे पहले किसने गिराया था सैटेलाइट का मलबा
सबसे पहली बार रूस का सैटेलाइट यहां गिराया गया  यह लगभग 140 टन का था। दशकभर से ज्यादा स्पेस में रहने के बाद जब ये गिराया गया तो उसका मलबा हजारों किलोमीटर दूर तक फैला। पॉइंट नेमो में इसके बाद से कई मलबे गिराए जा चुके हैं। हर मलबे को गिराने के पहले आधिकारिक चेतावनी भी दी जाती है ताकि एयर ट्रैफिक न रहे। इसके अलावा इस हाइपोथीसिस पर भी चेतावनी दी जाती है कि अगर आसपास कोई हो, जिसकी संभावना शून्य है, तो उसे पता चल जाए।

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