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यमुना की हालत बेहद चिंताजनक: प्रदूषण स्तर में खतरनाक बढ़ोतरी, बैक्टीरिया 4,000 गुना अधिक

11:46 AM Jul 19, 2025 IST | Priya

नई दिल्ली: मानसून के चलते भले ही राजधानी दिल्ली की हवा कुछ हद तक साफ हुई हो, लेकिन यमुना नदी की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की हालिया रिपोर्ट यमुना के बढ़ते प्रदूषण की गंभीर तस्वीर पेश करती है। रिपोर्ट के मुताबिक, नदी का पानी पहले से ज्यादा जहरीला हो गया है, और इसके कई मानकों में जून की तुलना में जुलाई में गिरावट दर्ज की गई है।

फेकल कोलीफॉर्म 4,000 गुना अधिक
सबसे ज्यादा चिंता की बात है फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का असामान्य स्तर। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने इसकी सुरक्षित सीमा 2,500 एमपीएन/100 मिलीलीटर तय की है, जबकि जुलाई में आईटीओ पुल पर इसका स्तर 92,00,000 एमपीएन/100 मिलीलीटर तक पहुंच गया, जो कि निर्धारित सीमा से लगभग 4,000 गुना अधिक है। यह बैक्टीरिया सीवेज के सीधे बहाव से जुड़ा होता है और स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है।

अन्य स्थानों पर भी यह आंकड़ा चौंकाने वाला है:

- आईएसबीटी पुल: 28,00,000

- निजामुद्दीन पुल: 11,00,000

- ओखला बैराज: 22,00,000

- आगरा नहर (ओखला के पास): 21,00,000

- असगरपुर: 7,90,000

BOD स्तर में भी भारी वृद्धि
जुलाई में यमुना का बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) स्तर भी कई स्थानों पर चिंताजनक रूप से बढ़ा है। यह वह मानक होता है जो पानी में मौजूद ऑर्गेनिक प्रदूषकों को तोड़ने में लगने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को दर्शाता है। CPCB की सुरक्षित सीमा 3 मिलीग्राम/लीटर है, जबकि जुलाई में पल्ला में BOD: 8 मिलीग्राम/लीटर, आईटीओ तक के बीच के हिस्से में 70 मिलीग्राम/लीटर और असगरपुर में 24 मिलीग्राम/लीटर है।

जून की तुलना में BOD स्तर में तेज वृद्धि दर्ज की गई। उदाहरण के तौर पर, जून में पल्ला में BOD 5, वजीराबाद में 8, आईएसबीटी पर 31, आईटीओ पर 46, निजामुद्दीन पर 40, ओखला बैराज पर 30, आगरा नहर में 38, और असगरपुर में 44 मिलीग्राम/लीटर दर्ज किया गया था।

घटता डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन (DO) लेवल
मछलियों और अन्य जलीय जीवन के लिए आवश्यक डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन (DO) का स्तर भी नदी में तेजी से घटा है। यह गिरावट नदी में जीवों के अस्तित्व पर सीधा असर डाल सकती है।

22 नालों से गिर रहा सीवेज
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि दिल्ली में 22 नालों से बिना ट्रीट किया गया सीवेज सीधे यमुना में गिरता है, जिससे प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। इससे न केवल जल की गुणवत्ता खराब हो रही है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बनता जा रहा है।

हर महीने जारी होती है रिपोर्ट
DPCC हर महीने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देशों के तहत यमुना के 8 प्रमुख स्थानों से जल के नमूने लेकर प्रदूषण स्तर की रिपोर्ट तैयार करता है। जुलाई 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल यमुना में प्रदूषण का स्तर अब तक के सबसे खराब स्तर पर पहुंच चुका है। असगरपुर और आईटीओ जैसे स्थानों पर स्थिति सबसे गंभीर बनी हुई है।

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