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पंजाब में आप का मान

लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने आनलाइन रायशुमारी के आधार पर पार्टी के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीद​वार घोषित कर दिया।

01:50 AM Jan 20, 2022 IST | Aditya Chopra

लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने आनलाइन रायशुमारी के आधार पर पार्टी के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीद​वार घोषित कर दिया।

पंजाब में आप का मान
लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने आनलाइन रायशुमारी के आधार पर पार्टी के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीद​वार घोषित कर दिया। भगवंत मान की छवि एक कामेडी कलाकार की है। राजनीति में आने से पहले वह एक हास्य कलाकार के रूप में काफी चर्चित रहे। उन्होंने पंजाबी कामेडी शो और पंजाबी फिल्मों में भी काम किया। इसी वजह से वह पहले से ही काफी लोकप्रिय हैं। उनके लोकप्रिय होने के ​पीछे एक बड़ा कारण यह रहा कि उन्होंने अपनी कामेडी के माध्यम से सत्ता के प्रतिष्ठानों को खूब निशाना बनाया, चाहे वह पंजाब पुलिस हो या कोई राजनेता या फिर सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार। पंजाब के लोगों को उनके विरोध के स्वर काफी पसंद आए। उनके जोरदार भाषणों और शेरो-शायरी को जनता ने जबर्दस्त ‘हुंगारा’ दिया। जट सिख समुदाय से आने वाले भगवंत मान ने पंजाब के मुद्दों को बखूबी उठाया। भगवंत मान का एक ऐसा चेहरा है जो पंजाब के लिए आम आदमी पार्टी से भी पुराना है। भगवंत मान 2011 में राजनीति में आए और मनप्रीत सिंह बादल की पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब में शामिल हुए। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने लेहरा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। पंजाब में जब आम आदमी पार्टी ने अपना पांव रखा तो मान 2014 में उसमें शामिल हो गए और 2014 के लोकसभा चुनाव में संगरूर से पहली बार सांसद का चुनाव जीतने में कामयाब हो गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में भगवंत मान को अकाली दल के सुखबीर बादल ने शिकस्त दी थी लेकिन भगवंत मान 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने में सफल रहे। आम आदमी पार्टी ने मान को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर सियासत में चर्चा का विषय दे दिया है। पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस में सीएम पद के उम्मीदवार को लेकर खींचतान जारी है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू में रस्साकशी जारी है। पंजाब भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की पार्टी से गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है। सीएम उम्मीदवार कौन होगा अभी गठबंधन में स्थिति स्पष्ट नहीं।
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शिरोमणि अकाली दल-बसपा गठबंधन की तरफ से सुखबीर बादल ही सीएम पद के उम्मीदवार होंगे, यह अघोषित सत्य है। आप पार्टी ने मान को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर बढ़त ले ली है। मान की उम्मीदवारी को लेकर आप पार्टी ने किसी  विवाद से बचने के लिए आनलाइन सर्वेक्षण का सहारा लिया। सर्वेक्षण का सहारा लेकर आप पार्टी ने पंजाब के मतदाताओं को यह दिखा दिया कि पार्टी ने उन पर कोई उम्मीदवार थोंपा नहीं है, बल्कि सर्वेक्षण में 93 फीसदी लोगों ने मान को ही अपनी पसंद बताया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि पिछले दस वर्षों से भगवंत मान आप का झंडा लिए पार्टी को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। इससे बड़ा चेहरा पार्टी के पास नहीं था। मुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान न करने के कारण एक बार फिर से यह सवाल उठ रहा था कि क्या केजरीवाल पंजाब का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान भी यही सवाल उठ रहा था। तब आम आदमी बिना चेहरे के चुनाव मैदान में उतरी थी लेकिन अरविन्द केजरीवाल ने स्पष्ट कर दिया कि वह पंजाब में मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते।
लोकतंत्र की खासियत देखें कि भगवंत मान कामेडी शो ‘द ग्रेट इंडिया लाफ्टर चेलेंज’ से मशहूर हुए थे। पंजाब के कामेडियन से देश के कामेडियन बनने का श्रेय इस शो को दिया जाता है। इस रियलटी शोर में नवजोत सिंह सिद्धू बतौर जज थे। आज ‘गुरु’ के मुकाबले ‘मान’ खड़े हैं। दोनों ही अपनी-अपनी पार्टियों के अध्यक्ष हैं। सियासत के कारण मान को बहुत कुछ खोना भी पड़ा है। राजनीति के चक्कर में अपने परिवार काे समय न देने के चलते सहमति से पत्नी से तलाक हो चुका है। भगवंत मान के साथ कई विवाद भी जुड़े हुए हैं। संसद परिसर में उनकी हरकतों को लेकर सवाल भी उठे थे, तब उन्होंने माफी मांग ली थी।  शराब पीने की बुरी आदत के कारण वह विवादों में फंसे लेकिन उन्होंने अब एक जनसभा में कभी शराब न पीने की कसम खाई है। यह भी सही है कि पंजाब में भगवंत मान ही आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी शक्ति हैं और कमजोरी भी हैं। उनके व्यक्तित्व का एक पहलु यह भी है कि उनमें अपना पक्ष रखने की ऊर्जा है, वे जितने जोश के साथ हजारों लोगों को सम्बोधित करते हैं, उतने ही जोश और गम्भीरता के साथ लोगों से बातचीत भी करते हैं।
भगवंत मान की छवि अभी भी ‘मसखरे’ जैसी है। यद्यपि पंजाब की सियासत में ‘जट सिख’ समुदाय का वर्चस्व रहा है लेकिन उनके सामने कांग्रेस की तरफ से चन्नी के तौर पर दलित चेहरा है। दक्षिण भारत की राजनीति में लोग अभिनेताओं को बहुत जल्दी स्वीकार कर लेते हैं। ऐसे में भगवंत मान पंजाब के लोगों के बीच अपनी स्वीकार्यता कायम करने में कितनी सफलता हासिल करते हैं यह देखना होगा। उन्हें मजबूत चरित्र के साथ और मजबूत संकल्प के साथ चुनाव मैदान में उतरना होगा। राजनीति बहुत गम्भीरता से होती है। देखना होगा पंजाब की जनता क्या फैसला करती है।
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