टेरिटोरियल आर्मी : देश सेवा का मौका
टेरिटोरियल आर्मी एक महत्वपूर्ण सैन्य रिजर्व बल है जो अंशकालिक स्वयंसेवकों…
टेरिटोरियल आर्मी एक महत्वपूर्ण सैन्य रिजर्व बल है जो अंशकालिक स्वयंसेवकों से बना है। इनका काम है भारतीय सेना को समर्थन करना। टेरिटोरियल आर्मी अधिनियम 1948 के तहत 1949 में इस बल की स्थापना की गई थी। यह नियमित सेना के लिए एक पूरक बल के रूप में कार्य करता है। प्राकृतिक आपदाओं और आपात स्थितियों के दौरान यह बल एक्टिव हो जाता है। प्रादेशिक सेना देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसमें 32 पैदल बटालियन हैं, जिनमें से 14 बटालियन (करीब 14,000 सैनिक) दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी, मध्य, उत्तरी, दक्षिण-पश्चिमी, अंडमान और निकोबार तथा सेना प्रशिक्षण कमांड में तैनात की जा सकती हैं। टेरिटोरियल आर्मी उन लोगों के लिए है जो अन्य क्षेत्र में पेशेवर हैं और देश के लिए अपनी सेवा देना चाहते हैं। यह अंशकालिक नौकरी है जो भारतीय युवाओं को देशप्रेम दिखाने का अवसर प्रदान करती है। टेरिटोरियल आर्मी के जवानों को साल में कुछ सप्ताह और महीने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। इनकी ट्रेनिंग रेगुलर नहीं होती है, न आर्मी ट्रेनिंग जैसी सख्त होती है। टेरिटोरियल आर्मी को केवल विशेष परिस्थितियों में एक्टिव किया जाता है। जैसे कि आंतरिक सुरक्षा आपदा प्रबंधन और युद्ध जैसी स्थिति में इन जवानों की फोर्स को एक्टिव किया जाता है। टेरिटोरियल आर्मी यूनिट साल 1962, 1965 और साल 1971 में ऑपरेशनों का हिस्सा रही हैं। ‘टेरियर्स’ ऑपरेशन पवन के दौरान श्रीलंका, ऑपरेशन रक्षक के दौरान पंजाब और जम्मू-कश्मीर तथा ऑपरेशन राइनो और ऑपरेशन बजरंग के दौरान उत्तर-पूर्व क्षेत्र में भी गए थे।
प्रादेशिक सेना के सैनिकों को कारगिल युद्ध क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप से तैनात किया गया था। उन्होंने दुश्मन के खिलाफ लड़ाई भी लड़ी। इसके अलावा प्रादेशिक सेना के जवान सैनिकों को आवश्यक वस्तुएं भोजन, पानी, दवाइयां और अन्य सामग्री की आपूर्ति कर रहे थे। मेडिकल हेल्प, इंजीनियरिंग कार्य और अन्य सौंपे गए कार्यों को टेरिटोरियल आर्मी ने बखूबी अंजाम दिया था। दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में उन्होंने इस युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय टेरिटोरियल आर्मी का हिस्सा बनना न सिर्फ गर्व की बात है, बल्कि कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने भी इसका हिस्सा बनकर यह साबित किया है। भारत के स्टार भाला फेंक खिलाड़ी और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा ने न केवल खेल के मैदान पर देश का नाम रोशन किया,बल्कि अब वह भारतीय सेना का भी हिस्सा बन चुके हैं। इससे पहले भारत के दो दिग्गज क्रिकेट कप्तान कपिल देव और महेंद्र सिंह धोनी, ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट शूटर अभिनव बिंद्रा, राजनेता अनुराग ठाकुर और सचिन पायलट, मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार मोहनलाल और अभिनेता नाना पाटेकर टेरिटोरियल आर्मी में सेवा दे चुके हैं। टेरिटोरियल आर्मी में समय-समय पर जूनियर कमिशंड ऑफिसर, नॉन-कमिशंड ऑफिसर और अन्य रैंक के पदों पर भर्तियां की जाती हैं। चयनित अभ्यर्थियों को भारतीय सेना के बराबर रैंक दी जाती है और वे समान जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। राष्ट्र निर्माण के प्रयासों और युद्ध या संघर्ष के दौरान किए गए योगदान के सम्मान में टेरिटोरियल आर्मी के कई व्यक्तियों को वीरता के साथ-साथ विशिष्ट सेवा पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इस भर्ती के लिए उम्मीदवार की आयु 18 से 42 वर्ष के बीच होनी चाहिए और वह पूर्णत: मेडिकल फिट होना चाहिए।
पहलगाम हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर लगातार तनाव बढ़ा तो केंद्र सरकार ने भारतीय सेना के प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी को टेरिटोरियल आर्मी के ऑफिसरों को बुलाने का अधिकार भी दे दिया। जरूरत पड़ने पर प्रादेशिक सेना यानी टेरिटोरियल आर्मी को बुलाया जा सकेगा। ऐसे वक्त में आम से लेकर खास के मन में देशसेवा का जज्बा हिलोरे मारने लगा है। बहुत से लोगों के मन में टीस है कि काश वे सेना में होते तो उन्हें दुश्मनों को सबक सिखाने का मौका मिलता। टेरिटोरियल आर्मी में आप देश के आम नागरिक रहते हुए भी सेना में सेवा कर सकते हैं। यह एक तरह की वॉलंटियर सर्विस होती है। जिसे आप अपनी जॉब, बिजनेस या अन्य कामों के साथ ज्वाइन कर सकते हैं। आपको अन्य सैन्य ऑफिसरों की तरह ट्रेनिंग, सैलरी और अन्य सुविधाएं मिलती हैं। साल 2019 में टेरिटोरियल आर्मी में अधिकारियों या अन्य रैंकों पर महिलाओं को भी स्वीकार किया गया। 2018 में कोर्ट के आदेश के बाद यह संभव हो सका। अब टेरिटोरियल आर्मी में साइबर वारफेयर के लिए युवाओं को इस सेवा में भर्ती होने का मौका दिया जा रहा है। टेक्निकल मोर्चे पर दक्ष युवाओं का साइबर वॉरियर के तौर पर चयन हो रहा है। इंडियन आर्मी ने आम भारतीय नागरिकों के लिए टेरिटोरियल आर्मी ऑफिसरों की भर्ती निकाली है। यह भर्ती टेरिटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) में सेना अधिकारी (गैर विभागीय) के रूप में होगी। सबसे पहले छह माह की प्री-कमिशन ट्रेनिंग होती है। इस दौरान उसे जेंटलमैन कैडेट के तौर पर लिया जाएगा। उम्मीदवारों को इस प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करने पर ही टीए में कमीशन दिया जाएगा। प्रत्येक वर्ष दो महीने का एनुअल ट्रेनिंग कैंप होगा। ओटीए चेन्नई में पहले दो वर्ष में तीन महीने की पोस्ट कमिशनिंग ट्रेनिंग होगी।
यह एक पार्ट टाइम कॉन्सेप्ट है जिसमें साल में दो माह की अनिवार्य ट्रेनिंग होती है। यह एक स्वयंसेवी फोर्स है जो भारतीय सेना के बाद द्वितीय पंक्ति में काम करती है। खासतौर से आपातकाल के समय ये जवान राष्ट्र की सेवा करते हैं, जबकि शांति के समय सिविलियन वर्क को जारी रखते हैं। टेरिटोरियल आर्मी में शामिल होकर देश की सेवा करने का मौका िमलता है। यह लोगों को एक टीम के रूप में काम करने, एक साथ आने और लोगों के अन्दर सुरक्षा की भावना पैदा करता है। प्रादेशिक सेना में कमीशन प्राप्त अधिकारियों को आवश्यकता के आधार पर लम्बी अवधि के लिए सैन्य सेवा के लिए बुलाया जा सकता है। अफसर के तौर पर भर्ती होने पर लेफ्टिनेंट के पद पर कमीशन दिया जाता है।
“सपनों के संरक्षक हैं वह,
उनके क़दम पवित्र हैं वीरता का पर्याय हैं, उनके निर्णय पवित्र हैं
शरहदों पर खड़े हैं शान से आज़ादी के रखवाले
साहस की संरचना हैं वह, उनके लक्ष्य पवित्र हैं
जीवन का एक ही उद्देश्य है उनका
समृद्धशाली और सुरक्षित अपना भारत हो
तिनका-तिनका हो जाए समर्पित उनका
पर ना खंडित अब अपना भारत हो
युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं
लोकतंत्र के लिए लिखा हुआ वो एक गीत है
हर धन से बढ़कर हैं आज़ादी के रखवाले
जिनकी हर जीत में केवल भारत की जीत है।”