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भारत औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त होने की ओर: उपराष्ट्रपति

भारत तेजी से औपनिवेशिक मानसिकता को छोड़ रहा है।

02:58 AM Nov 04, 2024 IST | Rahul Kumar

भारत तेजी से औपनिवेशिक मानसिकता को छोड़ रहा है।

भारत औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त होने की ओर  उपराष्ट्रपति
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हम अब पूर्व में पूजनीय औपनिवेशिक विचारों और प्रतीकों को चुनौती दे रहे हैं .

भारतीय लोक प्रशासन में भारतीय विशेषताएं होनी चाहिए, जो औपनिवेशिक मानसिकता से दूर हों, जो स्वतंत्रता के बाद हमारी आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

सोमवार को यह बातें उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ ने कही। वह नई दिल्ली में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) की 70वीं वार्षिक बैठक को संबोधित कर रहे थे।

भारत तेज गति से औपनिवेशिक मानसिकता को छोड़ रहा है।

अब चिकित्सा या प्रौद्योगिकी सीखने के लिए अंग्रेज़ी की आवश्यकता नहीं है। देश आज औपनिवेशिक विचारों और प्रतीकों को चुनौती दे रहा है।

राजपथ अब कर्तव्य पथ है और रेस कोर्स रोड अब लोक कल्याण मार्ग है। नेताजी अब उस कैनोपी के नीचे विराजमान हैं, जहा पहले कभी सम्राट जॉर्ज की प्रतिमा हुआ करती थी।

भारतीय नौसेना के चिन्ह को बदलकर उसमें तिरंगे को समाहित किया गया है। औपनिवेशिक युग के 1500 कानून अब कानून की पुस्तकों में नहीं हैं।

नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली को औपनिवेशिक विरासत से मुक्त किया है।

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Rahul Kumar

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