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मनहूस 2020 अलविदा का सावधानी का समय

2020 एक मनहूस साल था, मेरे ​लिए तो बहुत ही मनहूस। मैंने अपना जीवन साथी, पिता तुल्य महाशय जी, भोलानाथ विज जी और मां तुल्य कमला ठुकराल को खोया। अब इस साल को अलविदा कहने का समय आ गया है

01:41 AM Dec 20, 2020 IST | Kiran Chopra

2020 एक मनहूस साल था, मेरे ​लिए तो बहुत ही मनहूस। मैंने अपना जीवन साथी, पिता तुल्य महाशय जी, भोलानाथ विज जी और मां तुल्य कमला ठुकराल को खोया। अब इस साल को अलविदा कहने का समय आ गया है

मनहूस 2020 अलविदा का सावधानी का समय
2020 एक मनहूस साल था, मेरे ​लिए तो बहुत ही मनहूस। मैंने अपना जीवन साथी, पिता तुल्य महाशय जी, भोलानाथ विज जी और मां तुल्य कमला ठुकराल को खोया। अब इस साल को अलविदा कहने का समय आ गया है तो जाते-जाते यह कुछ और न कर जाए इसलिए हमें बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है।
 अब जबकि यह मनहूस वर्ष 2020 खत्म होने जा रहा है तो जाते-जाते इसमें भी एक अच्छी खुशखबरी हमारे डाक्टरों, वैज्ञानिकों और मोदी सरकार की कर्त्तव्य परायणता के चलते मिल ही गई। वह यह कि वैक्सीन आ गई है। कोरोना महामारी पर इससे बड़ी और जीत नहीं हो सकती, लेकिन इन पंक्तियों के माध्यम से एक बार फिर अपने प्यारे दिल्लीवासियों को अलर्ट कर देना चाहती हूं कि खुशी मिलने  पर लापरवाही की राह पर मत च​लिये। कोरोना की मार हम सबने झेली है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पूरे भारत में अब तक लगभग एक लाख 45 हजार से ज्यादा जानें कोरोना की भेंट चढ़ गईं। अकेली दिल्ली में कोरोना के 6 लाख से ज्यादा केस हो चुके हैं। जरा याद रखो कि जब सरकार लाॅकडाउन के बाद अनलॉक की प्रक्रिया लोगों की सुविधा के लिए शुरू कर रही थी तो बहुत ही ज्यादा ढिलाई और लापरवाही बरती गई। इसी लिए हमारा यह विनम्र निवेदन है कि खुशी के वक्त असावधानी से बचें। 
दीवाली, भैयादूज, विश्वकर्मा पूजा, गुरु नानक जयंती​, महावीर जयंती जैसे बड़े-बड़े पर्वों के आने पर हमारे बाजारों में रौनक मेला ज्यादा ही हो जाता है और आंकड़े गवाह हैं कि दिल्ली में इन्हीं त्यौहारों के दिनों में पिछले दिनों एक दिन में 4 हजार से ज्यादा केस हुए थे। प्रभु कृपा से और लोगों द्वारा अपनी गलती सुधारते हुए लापरवाही त्यागते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया तब कहीं जाकर अब हम सम्भले हैं। अब 25 दिसम्बर यानी क्रिसमस दिवस और नया साल 2021 आ रहा है, सचमुच खुशी का मौका है लेकिन याद रखिये खुशियों के मौके पर ज्यादा सावधान रहिये। बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें देखीं कि किस तरह लोग बाजारों में आजकल बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं कर रहे तो अब समय है कि अब मौके पर हम सम्भल जाएं। प्रधानमंत्री मोदी जी ने ठीक कहा है कि जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं। उस दिन मेरी एक सहेली का बेटा फोन पर मुझे कह रहा था कि आंटी आपके कालम में पढ़ा था जिसमें मोदी जी ने कहा-जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं परन्तु अब तो दवाई आ गई है तो अब हम क्यों डरें। मैंने उसे समझाते हुए कहा कि अभी कोरोना की दवाई यानी वैक्सीन की घोषणा हुई है या आई नहीं है तो इसलिए ढिलाई नहीं होनी चाहिए। यह युवा मेरी बात सुनकर गम्भीर हो गया लेकिन जब बात की गहराई को समझा तो उसने अब हर जगह यही मैसेज देना शुरू ​किया है कि दवाई आने तक अलर्ट रहें और नियमों का पालन करते रहें। 
अच्छी बात है कि हमारा युवा वर्ग हर ​चीज को समझ रहा है, पर कोरोना के मामले में हर किसी को समझना है और नियमों का पालन करना है। अभी तो कोरोना वैक्सीन अर्थात इसके टीके लगाने को लेकर सरकार भी नियम बनाने का काम कर रही है। तो खुशी का समय जरूर है लेकिन सबकुछ मर्यादित तरीके से होना चाहिए। सुरक्षा में ही बचाव है। अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील जैसे राष्ट्रों के लोगों ने सड़कों में ज्यादा से ज्यादा तादाद में उतर कर अपने यहां कोरोना को आमंत्रित किया और हालात सबके सामने हैं। मेरा इसीलिए हर किसी से अनुरोध है कि न सिर्फ अपनी सुरक्षा के लिए नियमों का पालन करें बल्कि हमारे डाक्टरों और अन्य हैल्थ कर्मियों के अलावा हर किसी की बात मानें जो सोशल डिस्टेंसिंग के लिए आपको प्रेरित करते हैं। बड़े बुजुर्ग समझाते रहे हैं कि बीमारी, महामारी और मुसीबत जाते-जाते परेशान करके जाती है। हम बहुत टूट चुके हैं, अर्थव्यवस्था तक प्रभावित हुई है, आइये अब अच्छा समय आगे आ रहा है और सब-कुछ ठीक रखने के लिए नियमों का पालन करें। हम लोग अपने संतोष और धीरज के लिए जाने जाते हैं और अब इसे आगे बढ़ाते हुए कोरोना से बचने के और इसे खत्म करने की संस्कृति के साथ चलें, यही समय की मांग है।
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Kiran Chopra

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