सामने आ गई बांग्लादेश आम चुनाव की तारीख! जानें कब होंगे इलेक्शन?
बांग्लादेश में आम चुनाव की तारीख का हुआ ऐलान
आम चुनाव की घोषणा शुक्रवार को देश के कार्यवाहक प्रमुख और नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस ने की. यूनुस ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं देशवासियों को सूचित करना चाहता हूं कि आम चुनाव अप्रैल 2026 के पहले पखवाड़े में किसी भी दिन आयोजित किए जाएंगे.
Bangladesh Election: बांग्लादेश में सेना और जनता लंबे समय से आम चुनाव कराने की मांग कर रही थी. ऐसे में अब ये इंतजार खत्म हो चुका हैं. अब आम चुनाव अब अप्रैल 2026 के पहले दो पखवाड़े में कराए जाएंगे. यह घोषणा आज (6 जून) देश के कार्यवाहक प्रमुख और नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस ने की. यूनुस ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं देशवासियों को सूचित करना चाहता हूं कि आम चुनाव अप्रैल 2026 के पहले पखवाड़े (1से15 अप्रैल के बीच) में किसी भी दिन आयोजित किए जाएंगे.’ हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मतदान की सटीक तारीख अभी तय नहीं की गई है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह चुनाव पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता से विदाई के बाद होने जा रहा है. अगस्त 2024 में छात्र आंदोलनों के चलते शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इस जन आंदोलन ने 15 वर्षों से चल रहे अवामी लीग शासन का अंत कर दिया और देश को राजनीतिक अस्थिरता की ओर धकेल दिया. इस्तीफे के बाद शेख हसीना ने भारत में शरण ली थी.
कार्यवाहक सरकार की चुनौतियां
हसीना सरकार के पतन के बाद गठित अंतरिम सरकार की बागडोर मोहम्मद यूनुस को सौंपी गई थी. उनका मुख्य उद्देश्य देश में स्थिरता बहाल करना और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है. हालांकि, तब से लेकर अब तक यूनुस की अगुवाई वाली कार्यवाहक सरकार को राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों की विभिन्न मांगों को संतुलित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
अवामी लीग को झटका
अवामी लीग को एक बड़ा झटका उस समय लगा जब इस महीने पार्टी का पंजीकरण निलंबित कर दिया गया, जिससे वह आगामी चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकेगी. इस फैसले की व्यापक आलोचना हो रही है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने सोशल मीडिया पर यूनुस पर “बदले की राजनीति” करने का आरोप लगाया है.
वहीं विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने चुनाव की तारीख को लेकर नाराजगी जताते हुए दिसंबर 2025 तक मतदान कराने की मांग दोहराई है. वहीं, सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने भी इस वर्ष के अंत तक चुनाव करवाने की पैरवी की है, साथ ही देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चिंता जाहिर की है.
NCP की शर्तें और सुधारों की मांग
पिछले वर्ष के छात्र आंदोलन से उभरकर सामने आई नई पार्टी, नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी), ने कहा है कि जब तक आवश्यक संस्थागत सुधार लागू नहीं होते, तब तक चुनाव कराना जल्दबाजी होगी. ढाका सहित देश के अन्य हिस्सों में सरकारी कर्मियों, शिक्षकों और आम लोगों के विरोध प्रदर्शन तेज हो रहे हैं, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति पर चिंता बढ़ गई है. राजनीतिक दलों के साथ जून के आरंभ में होने वाली बातचीत को लेकर कुछ उम्मीदें बनी हैं कि इससे राजनीतिक गतिरोध समाप्त हो सकता है.
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NCC की भूमिका
सरकार ने एक राष्ट्रीय सहमति आयोग (एनसीसी) भी गठित किया है, जो अंतरिम शासन की वैधता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संवैधानिक सुधारों पर चर्चा कर रहा है. हालांकि, आयोग के कुछ प्रस्तावों को समर्थन मिला है, लेकिन द्विसदनीय संसद जैसे सुझाव अब भी विवादों में घिरे हुए हैं.देश वर्तमान में एक संवेदनशील दौर से गुजर रहा है, और सभी की निगाहें अप्रैल 2026 में होने वाले इन महत्वपूर्ण चुनावों पर टिकी हैं.